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bhabhi maa

by Ravindra Saini,on Wed Feb 14,2023

#भाभी__माँ 
"ओफ भाभी....! कितना ले जाऊंगी..बस हो गया" नम्रता ने कहा 
"क्या हो गया....कभी-कभी तो आती है....तुम इनकी भाई होती तो आधा हिस्सा लेती कि न लेती"
"पर भाभी ,भैया इतने खर्चे में हैं....आप लोगो का इतना प्यार मिल रहा है ,वही बहुत है मेरे लिये"
ननद एक वर्ष बाद आयी थी....सपना ने उसे बेटी की तरह पाला पोसा था...हालांकि सपना की सास कभी नही चाहती थी कि बेटी अपनी भाभी के सम्पर्क में रहे पर बेटी नम्रता के व्यवहार से भाभी की बेटी ही बनकर रह गयी थी......
आज एक सप्ताह रहकर बेटी पुनः अपनी ससुराल जा रही थी......
"बहू....! जा किचन मे जा...दूध उबाल पर है" सपना की सास उनके पास आते ही बोली
"जी, मां जी " कहते हुये सपना किचन में चली गयी....बहू के किचन में जाते ही सास ने अपनी बेटी को दस हजार रुपये अपनी साड़ी के पल्लू में से निकाल कर दिया.....
"यह क्या मां..?"
"रख ले बेटी तेरे काम आयेंगे"
"पर मां, तुझे यह मिले कहां....आपकी कोई नौकरी तो है नही....अभी भैया को छुटकी के स्कुल की फीस भरनी है....उन्ही को दे दीजिये,अभी उन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है "
"नही बेटी ..तुम्हारे पापा मुझे कंगाल छोड़कर नही गये थे, ......रख ले.."
और जबरन बेटी के हाथ में रुपियो टूंसकर चली गयीं.. ..बेटी नम्रता को पिछले महीने का भाभी का फोन याद आया.....
भाभी बहुत परेशान थीं.....भैया को सेलरी मिली थी और उसमें से दस हजार रुपये घर में से गायब हो गए बता रही थीं.....
उसने कुछ सोचा,वह होल से मुस्करायी और किचन की तरफ चल पड़ी....
"अच्छा भाभी मैं चली....और हां यह दस हजार रुपये अभी सोफे के नीचे मिला है....मेरी जूती उसके नीचे चली गयी थी..जूती तलाशने में यह भी मिला.....शायद यह वही रुपया है जिसके विषय में आपने फोन किया था "
सपना की आंखों में आंसू थे.....वह सास और ननद की बातें सुन चुकी थी....ननद को अपने आगोश में भर लिया....और धीरे से कहा "तू मेरी सबसे बड़ी बेटी है "
ननद -भाभी दोनों मुस्करा पड़ीं,सच है जीवन का यह भी एक सुन्दर रूप है
दोस्तों बदलते रिस्तो की कहानी ...कैसी लगी ...

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dedication

by Ravindra Saini,on Wed Jan 31,2023

बहुत पहले आप ने एक चिड़िया की कहानी सुनी होगी...

जिसका एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फंस गया था...

चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया उस दाने को दे देने के लिए लेकिन पेड़ उस छोटी सी चिड़िया की बात भला कहां सुनने वाला था...

हार कर चिड़िया बढ़ई के पास गई और उसने उससे अनुरोध किया कि तुम उस पेड़ को काट दो, क्योंकि वो उसका दाना नहीं दे रहा...

भला एक दाने के लिए बढ़ई पेड़ कहां काटने वाला था...

फिर चिड़िया राजा के पास गई और उसने राजा से कहा कि तुम बढ़ई को सजा दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा और पेड़ दाना नहीं दे रहा...

राजा ने उस नन्हीं चिड़िया को डांट कर भगा दिया कि कहां एक दाने के लिए वो उस तक पहुंच गई है। 
चिड़िया हार नहीं मानने वाली थी...

वो महावत के पास गई कि अगली बार राजा जब हाथी की पीठ पर बैठेगा तो तुम उसे गिरा देना, क्योंकि राजा बढ़ई को सजा नहीं देता...
बढ़ई पेड़ नहीं काटता...
पेड़ उसका दाना नहीं देता...
महावत ने भी चिड़िया को डपट कर भगा दिया...

चिड़िया फिर हाथी के पास गई और उसने अपने अनुरोध को दुहराया कि अगली बार जब महावत तुम्हारी पीठ पर बैठे तो तुम उसे गिरा देना क्योंकि वो राजा को गिराने को तैयार नहीं...

राजा बढ़ई को सजा देने को तैयार नहीं...
बढ़ई पेड़ काटने को तैयार नहीं...
पेड़ दाना देने को राजी नहीं।
हाथी बिगड़ गया...
उसने कहा, ऐ छोटी चिड़िया..
तू इतनी सी बात के लिए मुझे महावत और राजा को गिराने की बात सोच भी कैसे रही है?

चिड़िया आखिर में चींटी के पास गई और वही अनुरोध दोहराकर कहा कि तुम हाथी की सूंढ़ में घुस जाओ...
चींटी ने चिड़िया से कहा, "चल भाग यहां से...बड़ी आई हाथी की सूंढ़ में घुसने को बोलने वाली।

अब तक अनुरोध की मुद्रा में रही चिड़िया ने रौद्र रूप धारण कर लिया...उसने कहा कि "मैं चाहे पेड़, बढ़ई, राजा, महावत, और हाथी का कुछ न बिगाड़ पाऊं...पर तुझे तो अपनी चोंच में डाल कर खा ही सकती हूँ...

चींटी डर गई...भाग कर वो हाथी के पास गई...हाथी भागता हुआ महावत के पास पहुंचा...महावत राजा के पास कि हुजूर चिड़िया का काम कर दीजिए नहीं तो मैं आपको गिरा दूंगा....राजा ने फौरन बढ़ई को बुलाया...उससे कहा कि पेड़ काट दो नहीं तो सजा दूंगा...बढ़ई पेड़ के पास पहुंचा...बढ़ई को देखते ही पेड़ बिलबिला उठा कि मुझे मत काटो…मैं चिड़िया को दाना लौटा दूंगा...

आपको अपनी ताकत को पहचानना होगा...आपको पहचानना होगा कि भले आप छोटी सी चिड़िया की तरह होंगे, लेकिन ताकत की कड़ियां कहीं न कहीं आपसे होकर गुजरती होंगी... हर सेर को सवा सेर मिल सकता है, बशर्ते आप अपनी लड़ाई से घबराएं नहीं...आप अगर किसी काम के पीछे पड़ जाएंगे तो वो काम होकर रहेगा... यकीन कीजिए...हर ताकत के आगे एक और ताकत होती है और अंत में सबसे ताकतवर आप होते हैं...                                                हिम्मत, लगन और पक्का इरादा ही हमारी ताकत की बुनियाद है..!! 

 बड़े सपनो को पाने वाले हर व्यक्ति को सफलता और असफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है
       
  पहले लोग मजाक उड़ाएंगे
  फिर लोग साथ छोड़ेंगे
  फिर विरोध करेंगे

*फिर वही लोग कहेंगे
* हम तो पहले से ही जानते थे की
 एक न एक दिन 
तुम कुछ बड़ा करोगे!

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vivah marriage

by Ravindra Saini,on Wed Jan 30,2023

क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं, क्या दारू पीकर हुल्लड़ मचाने को विवाह कहते हैं, क्या रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारु की पार्टी को विवाह कहते हैं ? डीजे बजाने को विवाह कहते हैं, नाचते हुए लोगों पर  पैसा लुटाने को विवाह कहते हैं, घर में सात आठ दिन धूम मची रहे उसको विवाह कहते हैं? दारू की 20-25 पेटी लग जाए उसको विवाह कहते हैं ? किसको विवाह कहते हैं?
विवाह उसे कहते हैं जो बेदी के ऊपर मंडप के नीचे पंडित जी मंत्रोच्चारण के साथ देवताओं का आवाहन करके विवाह की वैदिक रस्मों को कराने को विवाह कहते हैं।

 लोग कहते हैं कि हम आठ 8 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे हैं और पंडित जी जब सुपारी मांगते हैं तो कहते हैं अरे वह तो भूल गए जो सबसे जरूरी काम था वह आप भूल गए विवाह की सामग्री भूल गए और वैसे तुम 10 महीने से विवाह की कोनसी तैयारी कर रहे हैं।
विवाह  -  नहीं साहब आप दिखावे की तैयारी कर रहे हो कर्जा ले लेकर दिखावा कर रहे हो हमारे ऋषियों ने कहा है जो जरूरी काम है वह करो । ठीक है अब तक लोगों की पार्टियां खाई है तो खिलानी भी पड़ेगी ठीक है समय के साथ रीति रिवाज बदल गए हैं मगर दिखावे से बचे।
मैं कहना चाहता हूं आज आप दिखावा करना चाहते हो करो खूब करो मगर जो असली काम है जिसे सही मायने में विवाह कहते हैं वह काम गौण ना हो जाऐ, 6 घंटे नाचने में लगा देंगे, 4 घंटे मेहमानो से मिलने में लगा देंगे', 3 घंटे जयमाला में लगा देंगे, 4 घंटे फोटो खींचने में लगा देंगे और पंडित जी के सामने आते ही कहेंगे पंडितजी जी जल्दी करो जल्दी करो , पंडित जी भी बेचारे क्या करें वह भी कहते है सब स्वाहा स्वाहा जब तुम खुद ही बर्बाद होना चाहते हो तो पूरी रात जगना पंडित जी के लिए जरूरी है क्या उन्हें भी अपना कोई दूसरा काम ढूंढना है उन्हें भी अपनी जीविका चलानी है, मतलब असली काम के लिए आपके पास समय नहीं है। मेरा कहना यह है कि आप अपने सभी नाते, रिश्तेदार, दोस्त ,भाई, बंधुओं को कहो कि आप जो यह फेरों का काम है वह किसी मंदिर, गौशाला, आश्रम या धार्मिक स्थल पर किसी पवित्र स्थान पर करें ।
  जहां दारू पीगई हों जहां हड्डियां फेंकी गई हों क्या उस मैरिज हाउस उह पैलेस कंपलेक्स मैं देवता आएंगे, आशीर्वाद देने के लिए, आप हृदय से सोचिए क्या देवता वहां आपको आशीर्वाद देने आऐंगे, आपको नाचना कूदना, खाना-पीना जो भी करना है वह विवाह वाले दिन से पहले या बाद में करे मगर विवाह का कोई एक मुहूर्त का दिन निश्चित करके उस दिन सिर्फ और सिर्फ विवाह से संबंधित रीति रिवाज होने चाहिए , और यह शुभ कार्य किसी पवित्र स्थान पर करें। जिस मै गुरु जन आवें, घर के बड़े बुजुर्गों का जिसमें आशीर्वाद मिले ।
आप खुद विचार करिये हमारे घर में कोई मांगलिक कार्य है जिसमें सब आये और अपने ठाकुर को भूल जाऐं अपने भगवान को भूलजाऐं  अपने कुल देवताओं को भूलजाये।
मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि विवाह नामकरण अन्य जो धार्मिक उत्सव है वह शराब के साथ संपन्न ना हो उन में उन विषय वस्तुओं को शामिल ना करें जो धार्मिक कार्यों में निषेध है ।

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bhabhi maa posted at 2/14/2023 7:05:22 PM
dedication posted at 1/31/2023 7:54:46 PM
vivah marriage posted at 1/30/2023 8:58:23 PM
Babu ji ka chasma posted at 1/17/2023 7:47:19 AM
Case Against Father posted at 1/16/2023 7:24:00 PM

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